~¤Akash¤~
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आप जो मेरे हम नवाँ होते
फिर ना बुझते हम जहां होते
साथ देते जो तुम जमीं क्या है
मेरे हाथों में आसमां होते
तुम ही हो मेरे हेरेक पल मे
कैसे हम आप से जुदा होते
ये ज़िन्दगी ज़िन्दगी हो जाती
पास जो मेरे तुम यहाँ होते
कुछ इस तरह शायरी मे मेरी
तुम ही होते बस जहां होते
तेरे दम से ही थी कश्तियाँ मेरी
तेरे ही नाम से दरिया रवां होते....
फिर ना बुझते हम जहां होते
साथ देते जो तुम जमीं क्या है
मेरे हाथों में आसमां होते
तुम ही हो मेरे हेरेक पल मे
कैसे हम आप से जुदा होते
ये ज़िन्दगी ज़िन्दगी हो जाती
पास जो मेरे तुम यहाँ होते
कुछ इस तरह शायरी मे मेरी
तुम ही होते बस जहां होते
तेरे दम से ही थी कश्तियाँ मेरी
तेरे ही नाम से दरिया रवां होते....