साकी वो तेरी बज्म से प्यासा न चला जाये..................

~¤Akash¤~

Prime VIP
दो बूढे चरागों का उजाला ना चला जाए
आये जो बहु हाथ से बेटा ना चला जाए

इसे खौफं से हम धूप से लिपटे रहे दिन भर
ये धूप चली जाए तो साया ना चला जाए

वो शहर गरीबों का था जब भीख लुटी थी
ये शहर अमीरों का हैं कांसा ना चला जाए

इतना न बढा अपना तअल्लुक दिले नादाँ
ये दर्द मोहब्बत का है बढ़ता न चला जाये

दरिया को ठुकरा दिया जिसने तेरी खातिर
साकी वो तेरी बज्म से प्यासा न चला जाये..................


कांसा=भीख मांगने का कटोरा
 
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