~¤Akash¤~
Prime VIP
दो बूढे चरागों का उजाला ना चला जाए
आये जो बहु हाथ से बेटा ना चला जाए
इसे खौफं से हम धूप से लिपटे रहे दिन भर
ये धूप चली जाए तो साया ना चला जाए
वो शहर गरीबों का था जब भीख लुटी थी
ये शहर अमीरों का हैं कांसा ना चला जाए
इतना न बढा अपना तअल्लुक दिले नादाँ
ये दर्द मोहब्बत का है बढ़ता न चला जाये
दरिया को ठुकरा दिया जिसने तेरी खातिर
साकी वो तेरी बज्म से प्यासा न चला जाये..................
कांसा=भीख मांगने का कटोरा
आये जो बहु हाथ से बेटा ना चला जाए
इसे खौफं से हम धूप से लिपटे रहे दिन भर
ये धूप चली जाए तो साया ना चला जाए
वो शहर गरीबों का था जब भीख लुटी थी
ये शहर अमीरों का हैं कांसा ना चला जाए
इतना न बढा अपना तअल्लुक दिले नादाँ
ये दर्द मोहब्बत का है बढ़ता न चला जाये
दरिया को ठुकरा दिया जिसने तेरी खातिर
साकी वो तेरी बज्म से प्यासा न चला जाये..................
कांसा=भीख मांगने का कटोरा