खुद जिन हाथों ने आज उठाया है मुझको......

~¤Akash¤~

Prime VIP
लोगों ने मकतूल बनाया है मुझको
खुद मेरे लहू से लाल बनाया है मुझको

भूल गया पहचान मगर अख़बारों ने
हिन्दोस्ताँ था, ये नाम बताया है मुझको

क्या समझे वो बेबस माँ की लाचारी
एक बच्चे ने फिर ज़ख्म दिखाया है मुझको

खुश रहता था मैं घर घर के आंगन मे
क्यूँ मंदिर-मस्जिद में छोड़ के आया है मुझको

बेजा है गर जिक्र करू शैतानो का
जब इंसानों ने आज जलाया है मुझको

खेल सियासत का है ये, जब खंजर ने
खुद नेताओं का नाम बताया है मुझको

पूजा गया मैं जब से बना फरेबी हूँ
जब सच्चा था, तो ज़हर पिलाया है मुझको

था उम्मीद मैं उस लाचार बुढ़ापे की
खुद जिन हाथों ने आज उठाया है मुझको......
 
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