बोल के तू सच भी आया कर कभी............

~¤Akash¤~

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मुस्कुरा के ज़ख्म खाया कर कभी
तू भी इस दिल को जलाया कर कभी

दोस्ती तो दिल मे तू रखता नहीं
दुश्मनी मे आजमाया कर कभी

मर तो जाएँ हम कहें जो तू अगर
पर जीने की सूरत बताया कर कभी

हम तो रखते हैं तुझे दिल मे मगर
तू भी तो दिल में बुलाया कर कभी

पल दो पल को ही सही, मेरे लिए
खुद को भी तू भूल जाया कर कभी

दोस्तों के हाल पे ओ दिल नवाज
मुस्कुराना भूल जाया कर कभी

रख ले दिल तूफाँ का अबके नाखुदा
किनारे पर भी डूब जाया कर कभी

वो तेरा है, इख्तिलाफात ही सही
राबता कर के तो आया कर कभी

राहे जन्नत की तुझे फिर फ़िक्र क्या
अपनी माँ का सर दबाया कर कभी

दिल जला के रोज कहती है हवा
साहिलों पे घर बनाया कर कभी

वक्ते आखिर में दुखेगा दिल तेरा
बोल के तू सच भी आया कर कभी............

इख्तिलाफात=मनमुटाव
राबता=बातचीत
वक्ते आखिर=जीवन का अंतिम समय
 
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