समंदर है बे हवा, कश्ती मे बादबान है.............

~¤Akash¤~

Prime VIP
जोशे-जुनूँ पे उसके कफस भी हैरान है
पर कटे है, और उड़ने का इम्तहान है

हम तो सहरा मे भी रहते है मुतमईन
वो दरिया किनारे होकर भी परेशान है

करता था फसादे जो, इन्सान ही निकला
जिसे हमने सुना था के कोई शैतान है

कोई भी दरीचा ना खुला शीशे के घरों का
भीख मिली उससे जो कच्चा मकान है

अ नाखुदा समझादे अब तो अपनी इरादे
समंदर है बे हवा, कश्ती मे बादबान है.............

मुतमईन=संतुष्ट
 
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