पूछता है घर भी तुमको, तुम हो कहाँ..............

~¤Akash¤~

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याद करते है तुम्हे हम तुम हो कहाँ
रहती हैं आँखें मेरी नम तुम हो कहाँ

धड़कने मेरी रवां थी तेरी ही उम्मीद पर
थम रही है आज सांसे, तुम हो कहाँ

खो दिया है खुद को हमने अब तुम्हारी याद मे
ले के आ जाओ मुझे तुम, तुम हो कहाँ

तुम नहीं हो फिर भी हम तो रोज ही
करते है बातें तुम्हारी, तुम हो कहाँ


खुश्क है आँखे न जाने कब से तेरे दीद मे
आ के अब मुझको रुलाओ, तुम हो कहाँ

चुप खड़े है पेड़ सारे तन्हा है आँगन मेरा
पूछता है घर भी तुमको, तुम हो कहाँ..............
 
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