~¤Akash¤~
Prime VIP
रस्मन दिखाए उसने अपने हुनर आज भी
चराग मेरा फिर भी नहीं बुझा आज भी
अ तेज हवा तू फिर से अपने दम को देख ले
"अयान" रखता है वही ऊंची उडान आज भी
क्या करे कातिल तेरे खंजर ने कह दिया
हमने तो छुपाया था वो राज आज भी
तूफां तो समंदर ने उठाये बहुत थे
लहरों मे सफीने को हम लाये आज भी
पूछा हैं चरागों ने फिर, क्या मेरे नाम से
यूहीं शहर जलाती है ये हवा आज भी
जल कर भी महोब्बत मे ये राख ना हुआ
दिल से मेरे उठता है धुआं आज भी
सर बुलंदी ने उसे और भी आजिजी बख्शी
वो करता है बुजुर्गों का एहतराम आज भी.
चराग मेरा फिर भी नहीं बुझा आज भी
अ तेज हवा तू फिर से अपने दम को देख ले
"अयान" रखता है वही ऊंची उडान आज भी
क्या करे कातिल तेरे खंजर ने कह दिया
हमने तो छुपाया था वो राज आज भी
तूफां तो समंदर ने उठाये बहुत थे
लहरों मे सफीने को हम लाये आज भी
पूछा हैं चरागों ने फिर, क्या मेरे नाम से
यूहीं शहर जलाती है ये हवा आज भी
जल कर भी महोब्बत मे ये राख ना हुआ
दिल से मेरे उठता है धुआं आज भी
सर बुलंदी ने उसे और भी आजिजी बख्शी
वो करता है बुजुर्गों का एहतराम आज भी.