बेचना चाहता है मुझको अरजा भी करता नहीं....

~¤Akash¤~

Prime VIP
ठहरा हुआ हूँ आज भी यूँ दरिया हूँ बहता नहीं
रहता हैं क्या मुझमे कोई या खुद मे मैं रहता नहीं

ये समंदर क्या करेगा आज तेरी प्यास का
जब तिश्नाए लब हैं तेरे मेरे लब पे क्यूँ रखता नहीं

क्या हुआ मश्के-क़त्ल को आज अ ज़ालिम बता
सामने तेरे खड़ा हूँ क़त्ल क्यों करता नहीं

आज ले के आया है वो दरमा मेरे नाम का
कोई बतला दे उसे ये ज़ख़्म अब भरता नहीं

दिल मे उसके है महोब्बत अब भी मेरे नाम की
बेचना चाहता है मुझको अरजा भी करता नहीं....
 
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