समन्दरों के सफ़र में हवा चलता है,
जहाज़ खुद नहीं चलते,खुदा चलता है,
ये लोग पाँव नहीं जहाँ से अपाहिज हैं,
उधर चलेंगे जिधर रहनुमा चलाता है,
हम अपने बूढ़े चिरागों पैर खूब इतराए,
और उसे भूल गए जो हवा चलाता है,
तुझको मालूम नहीं मेले में घूमने वाले,
तेरी दुकान कोई दूसरा चलता है,