~¤Akash¤~
Prime VIP
बदला हुआ ज़ालिम का क्यूँ मिज़ाज आज है
खुदा भी शायद मुझ पे मेहरबान आज है
बस दुश्मनों ने आज मेरा हाल क्या पूछा
ये देख के हर शख्स परेशान आज है
टूटता है रोज फिर भी संभालता नहीं "अयान"
कमबख्त दिल ये शायद मेरा लाइलाज आज है
होती नहीं तसल्ली उसे क्यूँ जहान में
सब पा के भी इंसान बे ईमान आज है
दो चार शेर लिख के सोचा हो गए शायर
कहाँ दुनिया में इकबाल ओ फराज आज है
क्या देगा फैसला अब वो तेरी बेगुनाही पर
जब हर गवाह ने झूठा दिया बयान आज है
बस रो के उसका सर फिर सजदे में झुक गया
शायद मस्जिद की उसने सुनी ही अजान आज है....
खुदा भी शायद मुझ पे मेहरबान आज है
बस दुश्मनों ने आज मेरा हाल क्या पूछा
ये देख के हर शख्स परेशान आज है
टूटता है रोज फिर भी संभालता नहीं "अयान"
कमबख्त दिल ये शायद मेरा लाइलाज आज है
होती नहीं तसल्ली उसे क्यूँ जहान में
सब पा के भी इंसान बे ईमान आज है
दो चार शेर लिख के सोचा हो गए शायर
कहाँ दुनिया में इकबाल ओ फराज आज है
क्या देगा फैसला अब वो तेरी बेगुनाही पर
जब हर गवाह ने झूठा दिया बयान आज है
बस रो के उसका सर फिर सजदे में झुक गया
शायद मस्जिद की उसने सुनी ही अजान आज है....