छलक जाती हैं आँखे रोज फ़िराक ए यार में शायद दरिया ही बस गए हैं दिले बेकरार में बरसों गुजर गए हैं पर "अयान" आज भी उसी मोड़ पर खड़ा है तेरे इंतजार में........