मेरी लाश में खंजर वो चुभोने नहीं देता.

~¤Akash¤~

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कुछ, मेरा मुकद्दर मुझे होने नहीं देता
ये शौंक अना का भी कुछ पाने नहीं देता

जो चाहूँ किसी को भी इस दिल में बसाना
उस शख्स को मेरा वो होने नहीं देता

जितने कदम बढ़ते हैं बढ़ जाते हैं रस्ते
कुछ फासिले मुझे वो तय करने नहीं देता

कर देता हैं दरवाजे दुनिया के सभी बंद
मेरे घर भी मुझे वक़्त पे जाने नहीं देता

जो चाहें बदलना "अयान" अपना मुकद्दर
वो हाथों की लकीरें भी मिटाने नहीं देता

देखा हैं "अयान" मुसीबतों की हद से गुजरके
शिकस्त भी मुझे वो कही खाने नहीं देता

हो जाये हम भी पत्थरों के बीच में पत्थर
बुतों की भीड़ में मुझे वो खोने नहीं देता

शायद बची हो उसमे कुछ ज़िन्दगी बाकी
मेरी लाश में खंजर वो चुभोने नहीं देता.
 
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