तुमने झूटे ही सही एक बार बुलाया होता....

~¤Akash¤~

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घर जो अपना कभी मैंने ना जलाया होता
रौशनी वालों में मेरा नाम ना आया होता

फिर अपनी ही नजरों से उतर जाते "अयान"
गैर की महफ़िल में कभी सर जो झुकाया होता

इतने खुश-गुफ्तार ना होते जो अजीजों के लिए
हमने सर पर कभी ये पत्थर भी ना खाया होता

ना तेरे सर कभी यूँ तन्हाई का साया होता
अपनी महफ़िल में कभी हम को बुलाया होता

जो परख लेते अयान हम भी हवाओं का मिजाज
हवा की शह पे चरागों ने मेरा घर ना जलाया होता

सारी जिंदगी उसी मोड़ पे गुजर जाती "अयान"
तुमने झूटे ही सही एक बार बुलाया होता....
 
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