रात भर सर्द हवा चलती रही......................

~¤Akash¤~

Prime VIP
रात भर सर्द हवा चलती रही रात भर हमने अलाव तापा
मैंने माजी से कई खुश्क सी साखें काटी तुमने भी गुजरे हुए लम्हों के पत्ते तोडे
मैंने जेबों से निकाली सभी सूखी नज्मे तुमने भी हाथो से मुरझाये हुए ख़त खोले
अपनी इन आँखों से मैंने कई मांजे तोडे और हाथों से कई बासी लकीरे फेकीं
तुमने भी पलकों पे नमी सूख गई थी सो गिरा दी
रात भर सर्द हवा चलती रही रात भर हमने अलाव तापा
रात भर जो भी मिला उगते बदन पर हमें काट के डाल दिया जलते अलाव मे उसे
रात भर फूंको से हर लौ को जलाये रखा रात भर बुझए हुए रिश्ते को तापा हमने
रात भर सर्द हवा चलती रही......................
 
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