~¤Akash¤~
Prime VIP
करम पे रईस-ए-शहर पे टिका तो नहीं है
सर कटा हर एक बार पर झुका तो नहीं है
सर पे बला की धूप हो या गर्दिशें दोरां
जब चल पड़ा "अयान" फिर रुका तो नहीं है
क्या डुबोयेगा कश्ती को कोई बीच भंवर मे
वो बस है नाखुदा, कोई खुदा तो नहीं है
क्या सोच के बनाऊ उसे अपना हमसफ़र
इस आज की दुनिया मे वो वफ़ा तो नहीं है
रो पड़ता हूँ "अयान" अब भी उसकी जफा पर
वो रहता है मुझमे, जुदा मुझसे तो नहीं है...
सर कटा हर एक बार पर झुका तो नहीं है
सर पे बला की धूप हो या गर्दिशें दोरां
जब चल पड़ा "अयान" फिर रुका तो नहीं है
क्या डुबोयेगा कश्ती को कोई बीच भंवर मे
वो बस है नाखुदा, कोई खुदा तो नहीं है
क्या सोच के बनाऊ उसे अपना हमसफ़र
इस आज की दुनिया मे वो वफ़ा तो नहीं है
रो पड़ता हूँ "अयान" अब भी उसकी जफा पर
वो रहता है मुझमे, जुदा मुझसे तो नहीं है...