फिर बादल आएगा फिर पानी भरेगा.................

~¤Akash¤~

Prime VIP
आसमान का रंग बदल रहा था रात कच्ची पड़ रही थी
कोई पंछी पास के पेड़ से उड़ा और सुबह बुलाने आसमान की तरफ निकल गया
वो पुल के उस सिरे पर आकर खड़ी हो गई जहाँ से अगला कदम ज़िन्दगी का आखरी कदम था
उसने संदेसा भेजा तो था पर संदेसा पंहुचा नहीं वो जा चुका था 'पल भर में सब कुछ बदल गया और कुछ भी नहीं बदला जो बदला था वो तो गुजर गया' गडरिये भटकी हुई भेडो को राह दिखाते है इशा भी यही करते थे,वो गडरिया
उसका हाथ पकड़ कर अपने घर ले गया हर रोज जब सूरज रूबरू होता वो उस पुल पर खड़े होकर उसका इंतजार करती जो कभी लगता था 'इस पुल का कोई सिरा नहीं है और कभी लगता था इस पुल के दोनों सिरे एक तरफ है' एक बार फिर ज़िन्दगी का हाथ उसकी उंगलिओं से छूटने लगा था तभी कोहरे से छानकर आती आवाज ने उसे रोक लिया, ये तो उसी की आवाज थी ..........वो देर से पंहुचा पर वक़्त पर पंहुचा.................


अरे ताल से पानी सूखा है कोई आसमान थोड़े ही सूख गया
फिर बादल आएगा फिर पानी भरेगा.................
 
Top