दोस्त रस्ते बदल कर के जाने लगे...........

~¤Akash¤~

Prime VIP
जबसे हम उसके सजदों में जाने लगे
कतरे खुद को, समंदर बताने लगे

ना सच्चाइयों का तरफदार बन
अब फरिश्तें भी पत्थर उठाने लगे

मस्लहत का मौसम है इस शहर मे
यहाँ दुश्मन भी गले से लगाने लगे

अब के मौसम मे रंगत ही कुछ और है
वो मुझे देख कर मुस्कुराने लगे

कह के सबसे जुदा उसका अंदाज है
अशरार मेरे, दुश्मन सुनाने लगे

ऐसा लगता है कुछ परेशां है "अयान"
दोस्त रस्ते बदल कर के जाने लगे...........
 
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