दीवाना-वार मुझसे लिपट जायेगी हवा मैं सुर्ख सुर्ख फूलों मे जब मुस्कुराऊंगा धुल जायेंगी बदन पे जमी धुप की तहे अपने लहू मे आज मैं ऐसा नहाऊंगा एक पल की ज़िन्दगी मुझे बेहद अज़ीज़ है पलकों पे झिलमिलाउंगा और बिखर जाऊंगा...........