जुगनू को आंधिओं से भी लड़ कर नहीं गुरूर और आंधियां है नन्हा सा दीपक बुझा के खुश हमको तो कत्ल हो के भी शर्मिंदगी है यार और तू है अपने आप को कातिल बता के खुश...............