काश कभी ऐसा हो जाये..........................

~¤Akash¤~

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काश कभी ऐसा हो जाये
हलकी हलकी सी बारिश हो नरम हवा के झोंखे हो
निखरे निखरे से ताजा दिन और हरयाली के चेहरे हो
काश कभी ऐसा हो जाये
बारिश की पहली सांसों मे मिटटी की अंगडाई हो
गहरे गहरे बादल पेडों की साखों से उलझे हो
मौसम के पहले फूलों की खुशबूं कहीं से आती हो
और तुम्हारी मुस्कानों मे महके महके वादे हो
काश कभी ऐसा हो जाये
चाँद कसी भीगी चिडिया सा मेरी छत पर बैठा हो
अब्र हवा के बहकावे मे बस्ती बस्ती फिरते हो
रात किसी टूटी छतरी सी टप टप कर के टपकी हो
दिन भीगे भीगे पंछी जैसे सहमे सहमे लगते हो
काश कभी ऐसा हो जाये
घुटने घुटने तक पानी मे चलके आये कोई सुबह सुबह
और रात की नींद ओढ़ के हम बेसुध होकर सोते हो
टिप टिप की आवाज खामोशी को गहरा गहरा कर जाती हो
सन्नाटे सुनते हम दोनों बेसुध होकर बैठे हो
काश कभी ऐसा हो जाये..........................
 
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