जिधर तुम हो उधर कोई नहीं है.................

~¤Akash¤~

Prime VIP
तड़फ मे तो कसर कोई नहीं है
मगर उस पर असर कोई नहीं है

सफ़र मे हम तो सबके हमसफ़र है
हमारा हमसफ़र कोई नहीं है

वही मालिक है इन सारे घरों का
जिसका अपना घर कोई नहीं है

महोब्बत के सिवा भी रास्ते है
पर इतना पुरखतर कोई नहीं है

फकत एहसास दस्तक दे रहा है
ठहर ए दिल ठहर कोई नहीं है

मज़ा देखा मियां सच बोलने का
जिधर तुम हो उधर कोई नहीं है.................


पुरखतर=खतरनाक
 
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