तेरी मजाल क्या थी तू लाख हुनर रखता जो खुद तेरी तलवार के नीचे ना मैं सर रखता हज़ार कमी है और उस पर ये धार नाकारा हमारे नाम का खंजर तो मोतबर रखता..........