एक मासूम दिल की सदाओं का असर है.............

~¤Akash¤~

Prime VIP
रौशन चराग ए दिल था सरे शाम बुझ गया
शाइस्ता महफिलों की हवाओं का असर है

उस शहर ए सियासत की फजाओं मैं ज़हर था
हम जिंदा रहे माँ की दुआओं का असर हैं

हर एक ने खुद जुर्म ए इकबाल किया है
दिले जाना ने जो बख्शी थी, सजाओं का असर है

ये ज़िन्दगी अब जीने के काबिल नहीं मौला
उम्र भर जो किए थे, गुनाहों का असर है

जा के बहुत दूर वो लौट आया है "अयान "
एक मासूम दिल की सदाओं का असर है.............
 
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