उनकी यादों के पत्थर पर दो आँसू टपका लेना..........

~¤Akash¤~

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गाली की भी कोई सीमा है कोई मर्यादा है
ये घटना तो देशद्रोह की परिभाषा से ज्यादा है
मेरी आँखों में पानी है सीने मे चिंगारी है
राजनीती ने कुर्बानी के दिल पर ठोकर मारी है
वोटो के लालच मे शायद कोई कहीं नहीं बोला
लेकिन कोई ये न समझे कोई खून नहीं खोला
सुनकर बलिदानी बेटों का धीरज डोल गया होगा
मंगल पांडे फिर श्रोणित की भाषा बोल गया होगा
सुनकर ये महासागर की लहरें तरस गयी होंगी
सुनकर ये बिस्मिल की ग़ज़लों की बहरे तरस गयी होंगी
नीलगगन मे कोई पुच्छल तारा टूट गया होगा
अशफाक उल्ला की आँखों मे लावा फूट गया होगा
भारत भू पर मरने वाला पत्थर भी रोया होगा
इन्कलाब का रंग बसंती चोला भी रोया होगा
चुपके चुपके रोया होगा संगम तीरथ का पानी
आशूँ आंशूं रोई होगी धरती की चूनर धानी
एक समन्दर रोयी होगी भगत सिंह की कुर्बानी
क्या यही सुनने की खातिर फ़ासी झूले सेंनानी
जहाँ मरे आजाद पार्क के पत्ते खड़क गए होंगे
कहीं स्वर्ग मे शेखर जी के बाजू फड़क गए होंगे
शायद पल दो पल को उसक निंद्रा भाग गयी होगी
फिर पिस्तौल उठा लेने की इच्छा जाग उठी होगी
आजादी का नायक शेखर गौरव भारत माँ का है
जिसका भारत की जनता से रिश्ता आज लहू का है
स्वर्ण जयंती वाला जो ये मंदिर खडा हुआ होगा
शेखर इसकी बुनियादों के नीचे गडा हुआ होगा
आजादी के कारण जो गोरों से कभी लड़ी है रे
शेखर की पिस्तौल किसी तीरथ से बहुत बड़ी है रे
जलियाँ वाले बाग़ मे जो निर्दोषों का हत्यारा था
उस डायर को उधम सिंह ने लन्दन जा कर मारा था
जो सीने पर गोली खाने को आगे बढ़ जाते थे
भारत माता की जय कहकर फ़ासी पर चढ़ जाते थे
जिन बेटों ने धरती माता पर कुर्बानी दे डाली
आजादी पाने के लिए जवानी दे डाली
वे देवों की लोकसभा के अंग बने बैठे होंगे
वे सतरंगे इन्द्रधनुस के रंग बने बैठे होंगे
उन बेटों की याद भुलाने की नादानी करते हो
इन्द्रधनुस के रंग चुराने की नादानी करते हो
उनका नाम जुबाँ पर लो तो पलकों को झपका लेना
उनकी यादों के पत्थर पर दो आँसू टपका लेना
उनकी यादों के पत्थर पर दो आँसू टपका लेना..........
 
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