वो शायरी हो जिसमे फिरदौस रौशनी शायर ज़मीं को ऐसा एक बेदार चाहिए खुदाया मुझे ग़ज़ल का हुनर नवाज दे गुफ्तारी में बस लहजा-ए-इकबाल चाहिए