सर ले के तो लौटा हैं मगर और किसी का...............

~¤Akash¤~

Prime VIP
पांव मेरे मंजिल ए नज़र और किसी का
करता हूँ सफ़र रोज मगर और किसी का

साया है किसी का तो सज़र और किसी का
रहता है यहाँ कोई, है घर और किसी का

वो गुजरे है जिस राह से, मुमकिन ही नहीं है
उस राह से हो जाए गुजर और किसी का

देता हूँ मैं फिर अपने ही दरवाजे पे दस्तक
जब शहर में खुलता नहीं दर और किसी का

फिर जोश मे कर आया है वो होश का सौदा
सर ले के तो लौटा हैं मगर और किसी का...............
 
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