~¤Akash¤~
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मेरी दीवार मेरा दर बोलता है
वो आ जाये तो घर बोलता है
इलाही खैर हो कातिल की मेरी
सुना हैं ये खंजर बोलता है
ये एजाज़ है उसकी गुफ्तगू का
मुखातिब हो तो पत्थर बोलता है
शराफत का पता चलता है उसकी
वो जब गुस्से मे भरकर बोलता है
छुपाऊँ इस गरीबी को कहाँ तक
ज़रा सी बारिश हो तो छप्पर बोलता है...................Dr Nawaz deobandi
वो आ जाये तो घर बोलता है
इलाही खैर हो कातिल की मेरी
सुना हैं ये खंजर बोलता है
ये एजाज़ है उसकी गुफ्तगू का
मुखातिब हो तो पत्थर बोलता है
शराफत का पता चलता है उसकी
वो जब गुस्से मे भरकर बोलता है
छुपाऊँ इस गरीबी को कहाँ तक
ज़रा सी बारिश हो तो छप्पर बोलता है...................Dr Nawaz deobandi