मुझी मे खुदा था मुझी में खुदा था..........

~¤Akash¤~

Prime VIP
मुझे याद है
मेरी बस्ती के सब पेड़
पर्वत, हवाएँ, परिंदे मेरे साथ रोते थे ,हँसते थे
मेरे ही दुःख मे
दरिया किनारे पे सर को पटकते थे
मेरे ही खुशियों मे
फूलों पे शबनम के मोती चमकते थे
नदी मेरे अंदर से हो के गुजरती थी
आकाश..आँखों का धोका नहीं था
ये बात उन दिनों की है
जब जमीं पर इबादत घरों की ज़रूरत नहीं थी
मुझी मे खुदा था मुझी में खुदा था..........
 
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