शब को मेरा जनाज़ा जायेगा यू निकल कर रह जायेंगे सुबह को दुश्मन भी हाथ मल कर रोयेंगे देख कर सब बिस्तर की हर सिकन को वो हाल लिख चला हूँ, करवट बदल-बदल कर