मैं डर गया हूँ बहुत सायादार पेड़ो से जरा सी धूप बिछा कर सलाम करता हूँ मुझे ख़ुदा ने ग़जल का दायर बक्शा है ऐ सल्तनत में मोहब्बत के नाम करता हूँ!!