उस को जुदा हुए भी ज़माना बहुत हुआ अब क्या कहे ऐ किस्सा पुराना बहुत हुआ ! अब क्यूँ न ज़िन्दगी पे मोहब्बत को वार दें इस आशिकी में जान से जाना बहुत हुआ ! अब तक तो दिल का दिल से तार्रुफ़ न हो सका मन की उस से मिलना-मिलाना बहुत हुआ !!