मुझे दुःख, अपने बे-रिदा होने, का नही , मलाल तू सिर्फ़, इस का है के, लफ्जों के मकराज़ से, मेरी ओधनी , तार तार करने वाले हाथ, जिस बे-रहम के हैं , उस का तालुक , मेरी ही सनाफ़ से है",