ज़ालिम अब के भी ना रोयेगा तो मर जायेगा...

~¤Akash¤~

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आंख से दूर ना हो दिल से उतर जाएगा,
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जायेगा ||

इतना मायूस ना हो खिलवतइ-ए-गम से अपने,
तू कभी खुद को भी देखेगा तो दर जाएगा,
तुम सार-ए-राह-ए-वफ़ा देखते रह जाओगे ||

और वह बाम-ए-रफाकात से उतर जायेगा,
ज़िन्दगी तेरी आता है तो यह जानेवाला,
तेरी बख्शीश तेरी देहलीज़ पे धर जायेगा ||

डूबते-डूबते कश्ती तो ओछाला दे दूँ,
मैं नहीं कोई तो साहिल पे उतर जाएगा,
ज़ब्त लाजिम है मगर दुःख है क़यामत का,
ज़ालिम अब के भी ना रोयेगा तो मर जायेगा...
 
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