जिंदगी के आईने में मेरा अक्स झूठा था..

~¤Akash¤~

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जिंदगी के आईने में मेरा अक्स झूठा था..
चेहरा मेरा ओढ़ कर खड़ा यह शख्स झूठा था..
कहानी सुनाई थी तुने हकीकत लगने लगी..
कहानी जीने लगा मेरा जीवन झूठा था..
वादा फरामोश है वो मै जानता था मगर...
यह क्या की हर वादा उसका झूठा था..
मक़ाम तक पहुचते-पहुचते कदम चूर हो गए...
झूठा हर सफ़र हर मुकाम झूठा था..
हिला न सका मुझे कोई रकीब मेरा...
बर्बाद कर गया जो वह दोस्त झूठा था..
ज़हन में दफ़न चेहरें कभी कौंध जाते हैं...
हर चेहरा अजनबी हर यार झूठा था..
बेरहम वक़्त की ये सपनीली खिड़कियाँ ...
ठहरा हर नज़ारा चलता हर शरारा झूठा था....!!
 
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