इश्क में लफ़्ज़ों का खेल तो देखिये ज़रा..

~¤Akash¤~

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इश्क में लफ़्ज़ों का खेल तो देखिये ज़रा..
जो बहार आये तो रंगीनियत बिखेरते है..

जो अन्दर रह जाये तो उदासी समेटते है..
इस शातिर-दिल की गलियाँ भी बड़ी चाल-बाज सी है..

जो चला जाये तो उम्र का इंतज़ार ख़त्म न हो कभी...
जो न चले साथ तो ज़िन्दगी भी महरूम सी लगती है..!!

उम्मीद सीने से लगाये बैठे यहाँ इश्क तेरे दामन की...
तू ज़रा संभल कर आना..न नुमाइश तो तेरे आशियाने की..

तू तनहा न होगा इतना..jitni meri aarju hai tujhse...!!

kabhi aisa ho ki tu mujhko mujhse mila de..
fir se ek tere siwa aur kuch na rahe..!
 
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