छपाक-छपाक

Saini Sa'aB

K00l$@!n!
छपाक-छपाक
पानी में दौड़ते हैं
बारिश में भीगते बच्चे
बड़ों में भी
भीगने का आनंद
बाँटते हैं बच्चे...
सामने बुढ़िया की झोपड़ी है
झोपड़ी से दिखते हैं
बारिश में भीगते बच्चे
और झाँकता है ऊपर से
खुला आसमान
झांझर है झोपड़ी
चूता है रात भर
झर-झर पानी
खाट पर खड़े-पड़े
भीगती है बुढ़िया
रात-रात भर भीगने का
दुख कभी
बाँटती नहीं बुढ़िया
दुख उसका अपना है
हर बारिश में
दुख को सहलाता
जीवित एक सपना है...
 
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