मत कुरेदो, न कुरेदो मेरी यादों का अलाव, क्या खबर फिर वो सुलगता हुआ लम्हा निकले हमने रोका तो बहुत फिर भी यूँ निकले आँसू, जैसे पत्थर का जिगर चीर के झरना निकले