वंदे मातरम (तमिल)

Saini Sa'aB

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आओ गायें वंदे मातरम
आओ पूजे भारतमात हम
हमें नहीं परवाह जाति औ' धर्म की
ब्राह्मण हों, हो कोई छाया वर्ण की
इसके हैं सतवीर सपूत महानतम
क्योंकि पुण्य भूमि की इस संतान जन
एका है बल, त्याग इसे हम, गैर की
दृष्टि बनें आधारहीन हम नारकी
कोशिश कर यह सत्य समझ लें हम सब जन
नहीं चाहिए फिर तो कोई ज्ञान और धन
कुछ होगा गर हमें, सभी का भाग्य वही
क्या होगा गर अपनी होगी दिशा सही
जी जाएँगे तीस करोड़ जन गर जीते हम
मिटे अगर तो सबके मिटने का हो गम।
--सुब्रमण्य भारती
--अनुवादः अतुल कुमार रस्तोगी
 
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