रास्ते चलते हैं मंजिलों को पाने, मुसाफिर के क़दमों का निशाँ हूँ मैं !! अपनी हालत का एहसास नहीं मुझको, मैंने औरों से सुना हैं, परेशाँ हूँ मैं !!!