मेरे घर आई एक नन्ही परी
चांदनी के हसीन रथपे सवार
उसकी बातों में शहद जैसी मिठास
उसकी साँसों में इत्तर की महकास
होंठ जैसे के भीगे भीगे गुलाब
गाल जैसे के दहके दहके अनार
उसके आने से मेरे आँगन में
खिल उठे फूल, गुनगुनाई बहार
देखकर उसको जी नहीं भरता
चाहे देखू उसे हज़ारों बार
मैंने पूछा उसे के कौन है तू
हँस के बोली के मैं हूँ तेरा प्यार
मैं तेरे दिल में थी हमेशा से
घर में आई हूँ, आज पहली बार