मेरा गम ही आख़िर मेरे काम आया

मेरा गम ही आख़िर मेरे काम आया,
आज बहुत रोया के आराम आया,

लाख छुपाया इस ज़माने से,
मेरी ही ग़ज़ल में आख़िर तेरा नाम आया,
आज बहुत रोया के आराम आया,
मेरा गम ही आख़िर मेरे काम आया,

छोड़ दी कब की ज़िंदगी हुमने,
छोड़ के जबसे शहेर तेरा अपने गाव आया,
आज बहुत रोया के आराम आया,
मेरा गम ही आख़िर मेरे काम आया,

सो रहे थे चैन से कबर में,उठ गये सिर पे अचानक तेरा पाव आया,
आज बहुत रोया के आराम आया,
मेरा गम ही आख़िर मेरे काम आया,

ह्ष्र का दिन है आज जशन मना,
बाँध के सिर पे कफ़न आज “मान” आया,
आज बहुत रोया के आराम आया,
मेरा गम ही आख़िर मेरे काम आया
 
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